Madhu varma

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लेखनी कविता - राम बिनु तन को ताप न जाई -कबीर

राम बिनु तन को ताप न जाई ।


जल में अगन रही अधिकाई ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

तुम जलनिधि मैं जलकर मीना ।

जल में रहहि जलहि बिनु जीना ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

तुम पिंजरा मैं सुवना तोरा ।

दरसन देहु भाग बड़ मोरा ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

तुम सद्गुरु मैं प्रीतम चेला ।

कहै कबीर राम रमूं अकेला ॥

राम बिनु तन को ताप न जाई ॥

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